बरगद के जंगल में उगा और अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ सच्चा कर्मयोगी – डॉक्टर हिमांशु द्विवेदी

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बरगद के जंगल में उगा और अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ सच्चा कर्मयोगी – डॉक्टर हिमांशु द्विवेदी

घोर प्रतिस्पर्धा के इस बेहद कठिन दौर में, जहां आगे बढ़ाने वाले नहीं सिर्फ टांग खींचने वाले ही मिलते हों, खासकर मीडिया जगत में, वहां दिग्गजों की भीड़ में न केवल अपना अस्तित्व बचाना, बल्कि आगे बढ़ाने में आने वाले रोड़ों को पार करना और अपनी अलग पहचान बनाना हिमालियन सक्सेस से कम नहीं है. और यह सब कर दिखाया डॉक्टर हिमांशु द्विवेदी ने. वह भी बहुत कम समय में.

डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने अखंड मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में बेहद खामोशी से एंट्री की थी, और उसके बाद उन्होंने सिर्फ और सिर्फ दिन-रात मेहनत की…संघर्ष किया और धीरे-धीरे अपने मुकाम की ओर बढ़ते चले गए.

राज्य बनने के बाद तो उन्होंने फिर पलट कर पीछे देखा भी नहीं. उनकी सफलता रफ्तार पकड़ चुकी थी और उन्होंने तमाम दिग्गजों के बीच न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि पत्रकारों की नई पौधों के लिए रोल मॉडल भी बन गए. हर समय हंसते रहना मुस्कुराते रहना उनकी पहचान बन गई.

बात-बात पर खुलकर ठहाके लगाने का उनका खास अंदाज हर किसी के दिल पर अमिट छाप छोड़ जाता है. उनकी दिन रात की कर्मपूजा को देखो तो ऐसा लगता है कि वह अपनी अपार सफलता से संतुष्ट नहीं है, और उन्हें अभी बहुत से पड़ाव पर करने है.

न केवल छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश बल्कि आज पूरे देश में उनका नाम है. उनकी अलग पहचान है और राष्ट्रीय पत्रकारिता में वे छत्तीसगढ़ का परचम शान से फहरा रहे हैं.

आज उनका जन्मदिन है, बहुत-बहुत बधाई डॉक्टर हिमांशु द्विवेदी…

अनिल पुसदकर

(यह सामग्री वरिष्ठ पत्रकार श्री अनिल पुसदकर जी के फेसबुक वॉल से ली गई है. श्री पुसदकर प्रेस क्लब रायपुर के अध्यक्ष रहे हैं. श्री पुसदकर पत्रकारों के हितों पर अपनी आवाज बुलंद करते ही हैं, जन-सरोकार के मुद्दों पर भी उनकी मुखरता उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देखी जा सकती है. यह सामग्री उपयोग करते हुए VDOTab उनके प्रति आभार व्यक्त करता है.)

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