रायपुर। छत्तीसगढ़ी सिनेमा की ऐतिहासिक कृति ‘घर-द्वार’ के निर्माता स्व. विजय पांडेय के ज्येष्ठ पुत्र श्री जय किशोर पांडेय का आज दोपहर हृदयाघात के कारण असामयिक निधन हो गया। इस दुखद समाचार ने समूचे छत्तीसगढ़ी कला जगत को शोक के सागर में डुबो दिया है। उनके छोटे भाई, श्री जय प्रकाश पांडेय ने इस हृदयविदारक घटना की पुष्टि की है।
श्री जय किशोर पांडेय एक सौम्य, कला प्रेमी और विद्वान व्यक्तित्व थे। संगीत और कला के प्रति उनकी गहरी रुचि और निष्ठा ने उन्हें समाज में विशेष स्थान दिलाया था। छत्तीसगढ़ी और हिंदी भाषा पर उनकी समान पकड़ थी, और वे श्री रामचरितमानस के मर्मज्ञ थे। मानस के प्रति उनकी भक्ति और विद्वता को देखकर गोस्वामी तुलसीदास जी के शब्द स्मरण हो आते हैं : रामचरितमानस जे गावहिं, सदा सुखी सनमानस पावहिं। उनका जीवन इस पंक्ति का साकार रूप था, जो कला और अध्यात्म के संगम से समाज को प्रेरित करता रहा।
स्व. विजय पांडेय और भूतपूर्व पार्षद श्रीमती चंद्रकली पांडेय के ज्येष्ठ पुत्र जय किशोर पांडेय के आकस्मिक निधन से छत्तीसगढ़ी सिनेमा और कला जगत में एक शून्य सा उत्पन्न हो गया है।
छत्तीसगढ़ी सिनेमा के प्रमुख निर्देशक, निर्माता, नायक, नायिका और कला जगत से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। धर्म, अध्यात्म और संस्कृति से जुड़े व्यक्तित्वों ने भी इस अपूरणीय क्षति पर दुख जताया है।
इस दुख की घड़ी में छत्तीसगढ़ी कला जगत और समस्त शुभचिंतक परिवार के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं। हम श्री रामचरितमानस की इन पंक्तियों के साथ प्रार्थना करते हैं : राम नाम जपि जो जन मरहीं, तिनके दुख दारिद्र नसाही। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत उन महान आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

COMMENTS