विद्वान वक्ता पंडित जय किशोर पांडेय की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, हर आंख नम

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विद्वान वक्ता पंडित जय किशोर पांडेय की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, हर आंख नम

रायपुर। छत्तीसगढ़ी सिनेमा की ऐतिहासिक कृति ‘घर-द्वार’ के निर्माता स्व. विजय पांडेय के ज्येष्ठ पुत्र श्री जय किशोर पांडेय के असामयिक निधन ने पूरे छत्तीसगढ़ को गहरे शोक में डुबो दिया। 8 जून की दोपहर हृदयाघात के कारण उनके निधन के बाद, 9 जून को उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए, जिनमें राजनीति, पत्रकारिता, कला, संगीत, धर्म, अध्यात्म और समाजसेवा से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों के साथ-साथ आमजन का अपार समूह मौजूद था।

श्री जय किशोर पांडेय की अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई श्मशान घाट तक पहुंची। इस दौरान हर आंख नम थी और हर दिल में उनकी सौम्यता, कला के प्रति समर्पण और श्री रामचरितमानस के प्रति उनकी अटूट भक्ति की स्मृतियां जीवंत थीं। छत्तीसगढ़ी सिनेमा के प्रमुख निर्देशक, निर्माता, नायक-नायिका, संगीतकार और कला जगत से जुड़े लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

राजनीति के कई दिग्गज नेताओं, पत्रकारिता जगत के वरिष्ठ चेहरों, समाजसेवियों और धर्म-अध्यात्म से जुड़े व्यक्तित्वों ने उनकी अंतिम विदाई में हिस्सा लिया। आसपास के व्यापारियों ने उनके प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि स्वरूप अपनी दुकानें बंद रखीं, जिससे शहर में शोक की गहरी छाया स्पष्ट दिखाई दी।

जय किशोर पांडेय की विद्वता, उनकी सौम्य मुस्कान और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रति उनका योगदान हर किसी के मन में बस्ता है। एक शोक सभा में वक्ताओं ने कहा, “उनका जाना छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने कला और अध्यात्म के संगम से समाज को नई दिशा दी।”

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