रायपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सुपरवाइजरों के बीच मन-मुटाव और टकराव यूँ तो कोई नयी बात नहीं है, लेकिन सुपरवाइजर जब अपने सेक्टर की कार्यकर्ताओं की फ़ज़ीहत करने पर आमादा हो जाती हैं, तो यह मामला बड़ा रूप ले लेता है। एक ऐसा ही मामला न्यायधानी बिलासपुर में सामने आया है।
बिलासपुर शहरी क्षेत्र की कुछ सुपरवाइजरों के खिलाफ कार्यकर्ताओं का आक्रोश लम्बे समय से बना हुआ है, जिसमें से कुछ के खिलाफ तो कार्यकर्ताओं ने लिखित शिकायत भी दी है। शहरी क्षेत्र की एक कार्यकर्ता ने पिछले दिनों शिकायत की है कि उसकी सुपरवाइजर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है। परियोजना अधिकारी भी सुपरवाइजर का साथ दे रही है।
कार्यकर्ता का कहना है कि उसे इरादातन नोटिस पर नोटिस भेजा जा रहा है, कि क्यों वह निरीक्षण के दौरान केंद्र में नहीं पायी गयी। वह बता रही है कि जिस समय निरीक्षण के लिए सुपरवाइजर पहुंची थी, उस समय वह हितग्राही के घर मोबाइल से फेस कैप्चर करने गयी थी, जो कि पोषण आहार वितरण के अंतर्गत विभाग द्वारा ही तय की गयी अनिवार्य प्रक्रिया है।
पीड़ित कार्यकर्ता का कहना है कि उसे लगातार 2 नोटिस देने बाद कार्यालय पहुँच कर जवाब देने के लिए कहा गया। वह कार्यालय पहुंची, तो पहले तो उसे घंटों बैठाया गया। आखिरी में बेइज्जत करते हुए कार्यालय से बाहर कर दिया गया। कार्यकर्ता का आरोप है कि साथ में पहुंची उसकी मां के साथ भी सुपरवाइजर और परियोजना अधिकारी ने अभद्रता की है।
इससे परेशान होकर पीड़ित कार्यकर्ता कलेक्टर ऑफिस पहुंची। कलेक्टर दौरे में होने के कारण नहीं मिल सके, जिनके समक्ष वह इस पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराना चाह रही थी। वहां मौजूद मीडियाकर्मियों को उसने अपनी पीड़ा बतायी।
कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि सुपरवाइजर लम्बे समय से एक ही स्थान पर कुंडली मरकर बैठी हैं, उनका तबादला नहीं हो रहा है। इसीलिए उनके हौसले बुलंद हैं। दूसरी बात यह भी सामने आ रही है कि जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका आंगनबाड़ीकर्मियों के संगठन से जुड़कर अपने हितों के लिए आवाज़ बुलंद करती रहती हैं, उन्हें चुन-चुनकर टारगेट किया जा रहा है, जिसमें कुछ बड़े अफसरों का भी संरक्षण होता है। और यह स्थिति प्रदेश के कई जिलों में है।
बिलासपुर में आंगनबाड़ी संगठन का एक धड़ा इस पूरे मामले को लेकर आक्रोशित नजर आ रहा है, और प्रताड़ना के खिलाफ आंदोलन की तैयारी में है। क्योंकि संगठन के कुछ अन्य पदाधिकारियों के साथ भी उनके सुपरवाइजर के द्वारा ऐसे ही बर्ताव किये जानी की शिकायत है। बहरहाल इस मामले में बिलासपुर कलेक्टर से बातचीत की कोशिश की जा रही है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक प्रशासन का पक्ष सामने नहीं आया है।
इसी मामले से जुड़ा हुआ एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें पीड़ित कार्यकर्ता अपनी पीड़ा व्यक्त कर रही है। आप भी चाहें तो उस वीडियो को देख सकते हैं-

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