रायपुर। छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े एक तरफ जहाँ कह रही हैं कि “राज्य के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को शिक्षा, पोषण और संस्कार के समेकित केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि हर बच्चा सशक्त, शिक्षित और स्वस्थ बन सके।” सभी जिलों के कलेक्टर भी समय-समय पर निरीक्षण करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश देते हैं, कि महिलाओं और बच्चों के हितों की संरक्षा के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में निर्धारित योजनाओं का समुचित पालन हो। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार, विभागीय मंत्री और प्रशासन की इस भावना को जमीन पर कितनी गंभीरता से अमल किया जा रहा है, यह जानने के लिए 19 जुलाई 2025 को VDO TAB की टीम ने न्यायधानी बिलासपुर के आंगनबाड़ी केंद्रों का रेण्डमली जायजा लिया। जो दृश्य सामने आये, वे हैरान करने वाले हैं, इंकार नहीं कि कुछ सुःखद भी हैं। बिलासपुर जिले के सारे आंगनबाड़ी केंद्र लापरवाह हैं, ऐसा मान लेना अनुचित होगा, लेकिन जो, जैसा, जहां प्राप्त हुआ उस पर गौर करना और उस पर प्रशासन को मंथन करना ज़रूरी होगा। आगे खबर विस्तार से पढ़िए :-
आंगनबाड़ी केंद्र-कोनी, क्रमांक-07, परियोजना-बिलासपुर ग्रामीण
VDO TAB की टीम यहाँ दोपहर 1.26 बजे पहुंची। आंगनबाड़ी केंद्र खुला मिला। आंगनबाड़ी केंद्र में ना तो कार्यकर्ता मिली, न ही सहायिका। आंगनबाड़ी में जिस आयु के बच्चे अमूमन मिलने चाहिए, वह तो आसपास भी नहीं दिखे। लेकिन वह आंगनबाड़ी केंद्र खाली भी नहीं था। वहां कुछ किशोर बच्चे मिले। दरी/चादर जैसी व्यवस्था में कुछ बैठे थे, तो कुछ लेटे हुए भी थे। कुछ मोबाइल पर बिजी थे, तो कुछ आपस में बातचीत में मशगूल थे। टीम से संक्षिप्त बातचीत में उन किशोर बच्चों ने बताया कि वे किसी टूर्नामेंट के लिए आये हैं, यहाँ उन्हें ठहराया गया है।

VDO TAB की टीम जब उस केंद्र से बाहर निकल रही थी, तब एक स्कूटी पर सवार दो व्यक्ति (जो संभवतः अभी-अभी वहां पहुंचे थे) मिले, जिन्होंने पहले तो पूछा कि कौन हो, और यहाँ क्या करने आये हो। जब उन्हें बताया गया, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति जानने के लिए यह पत्रकार टीम इस आंगनबाड़ी केंद्र में आयी है, तब उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि अभी तो यहाँ खेल में शामिल होने वाले बच्चे जो बाहर से आये हैं, वे रह रहे हैं, बाद में किसी दिन आ जाइएगा।

उनके इस जवाब पर जब VDO TAB की टीम ने उनसे जानना चाहा, कि फिर इन दिनों में आंगनबाड़ी केंद्र के संचालन की कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है क्या, कार्यकर्ता और सहायिका कहाँ हैं? स्कूटी की सीट पर बैठे-बैठे ही बात कर रहे उन अज्ञात व्यक्ति ऐसा सवाल सुनते-सुनते अपनी स्कूटी को स्टार्ट कर चुके थे। जवाब दिए बिना वहां से फारिग हो लिए।
आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 253, सरकंडा, परियोजना- बिलासपुर शहरी

VDO TAB की टीम यहाँ 1.41 बजे पहुंची। यह केंद्र सीपत चौक में बघवा मंदिर के पास है। बघवा मंदिर से एक पतली गली, जो नूतन चौक की तरफ जाती है, और वह गली मेन रोड से जुड़ जाती है, बस उसी गली में यह केंद्र है। यह केंद्र बाहर से देखने पर लग रहा था, कि किराए के भवन (संभवतः) में संचालित हो रहा है। वैसे यह केंद्र एकदम से ऐसा नहीं लगता कि यही आंगनबाड़ी केंद्र है। रिकॉर्ड में कुछ भी हो, दृश्य में अन्य आंगनबाड़ी केंद्रों की तुलना में इसका दृश्य कुछ अलग है। लेकिन, बाहर खड़े दो मासूम बच्चे, जिस अंदाज़ में दरवाज़े पर से भीतर को उम्मीद भरी निगाहों से निहार रहे थे, उससे लगा कि यहाँ आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है। जब टीम भीतर पहुंची तो, वहां बच्चे तो नहीं मिले।

बघवा मंदिर के समीपस्थ इस केंद्र में तीन महिलाएं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता वाली ड्रेस में मिलीं (VDO TAB पुष्ट नहीं करता कि वह कार्यकर्ता/सहायिका हैं), जो कुछ लिखा-पढ़ी का काम कर रही थीं। सहायिका वाली ड्रेसधारी एक महिला वहां बर्तन वगैरह धोने का काम कर रही थी।

VDO TAB के प्रतिनिधि ने अपना परिचय देते हुए उनसे पूछा कि आप तीनों में से इसी केंद्र की कार्यकर्ता कौन हैं? उन्होंने कहा कि इस केंद्र के कार्यकर्ता की ड्यूटी कहीं और लगी है, वे वहां गयी है। उनसे पलटकर पूछा गया कि आप लोग कौन हैं, और यदि आप भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं तो इस समय पर आप अपने केंद्र को छोड़कर यहाँ क्या कर रही हैं ? उन्होंने कहा कि यहाँ से चले जाइये, किसी और केंद्र की रिपोर्टिंग कर लीजिये। हम आपसे कोई बात करना नहीं चाहते। उन्होंने उस केंद्र में प्रतिनिधि को तस्वीर लेने से भी रोका। उन्होंने यह बताने से भी इंकार किया कि इस केंद्र की कार्यकर्ता और सहायिका कौन हैं?
आंगनबाड़ी केंद्र सेंदरी, क्रमांक 4, परियोजना-बिलासपुर (ग्रामीण)

VDO TAB की टीम यहाँ 12.41 बजे पहुंची। आंगनबाड़ी केंद्र खुला हुआ मिला। यहाँ कुछ हितग्राही भी आयी थीं, जो पूरक पोषण आहार वगैरह ले रही थीं। बच्चे भी उपस्थित थे। VDO TAB प्रतिनिधि ने भीतर आने की अनुमति मांगी, तो कार्यकर्ता ने अनुमति दी और परिचय देने के बाद बातचीत करने को राजी हुई। उन्होंने अपना नाम सतरूपा भारद्वाज बताया। सहायिका ने अपना नाम सुनीता देवांगन बताया। वहां दो दर्जन से ज्यादा बच्चे दिखे, जो खेलकूद और अन्य गतिविधियां कर रहे थे। कार्यकर्ता ने बताया कि उनके केंद्र में 6 कुपोषित बच्चे हैं, जिन्हें शासन के नियमानुसार लाभ प्रदान किया जा रहा है। सभी कुपोषित मध्यम श्रेणी के हैं। उन्होंने बताया कि 15 गर्भवती, 11 शिशुवती उनके केंद्र में पंजीकृत हैं। पूरक पोषण आहार वितरण भी नियमित रूप से किया जा रहा है। कार्यकर्ता सतरूपा ने बताया कि सेक्टर सुपरवाइजर मुक्ति तिवारी नियमित रूप से निरीक्षण करने आती हैं, तथा वे कार्यकर्ताओं का सहयोग भी करती हैं, ताकि केंद्र संचालन में कोई समस्या न हो।
आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 211, इमलीपारा, परियोजना बिलासपुर (शहरी)

VDO TAB की टीम यहाँ दोपहर 2.58 बजे पहुंची। देखकर हैरानी हुई कि, यह तो केंद्र ही बंद है। आंगनबाड़ी केंद्र के लिए सुबह 9.30 बजे से 3.30 बजे तक समय निर्धारित है। फिर समय से पहले बंद कैसे किया जा सकता है। आसपास के लोगों ने बताया कि मैडम लोग आयी थीं, कुछ समय पहले बंद करके चली गयी। कहाँ गयी, किसी को पता नहीं। यदि कार्यकर्ता गृहभेंट अथवा अन्य कार्यवश हितग्राही के घर या कहीं गयी है, तो सहायिका को तो समयानुसार केंद्र खोलकर रखना होता है।
आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 68, इमलीपारा, परियोजना बिलासपुर (शहरी)

VDO TAB की टीम यहाँ दोपहर 2.50 बजे पहुंची। यहाँ से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अपने केन्द्र में ताला जड़कर नदारद मिलीं। आसपास के रहवासियों ने बताया कि मैडम तो अक्सर इस समय तक चली ही जाती हैं। किराए के भवन में संचालित इस आंगनबाड़ी केंद्र के बाहर अन्य केंद्रों की तरह दीवार पर कोई सूचना भी दर्ज नहीं मिला, लेकिन नागरिकों ने पुष्टि की, कि यहाँ केंद्र संचालित होता है।
आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 67, इमलीपारा, परियोजना (शहरी)

VDO TAB की टीम यहाँ 2.48 बजे पहुंची। बाहर कोई सूचना बोर्ड नहीं होने से एकबारगी कोई यह नहीं जान सकता कि यहाँ भी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है, लेकिन स्थानीय नागरिकों ने पुष्टि की कि यहाँ आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है। शहरी क्षेत्र में भवन के अभाव में किराए के छोटे-छोटे कमरों में आंगनबाड़ी केन्द्र चलाये जा रहे हैं। वहां तक भी ठीक है, लेकिन निर्धारित समय से पहले कार्यकर्ता और सहायिका आखिर केंद्र को बंद करके कैसे जा सकती हैं। आपको जानकार हैरानी होगी, शहर के बीच स्थित इस केंद्र में 3 बजे के पहले ही ताला जड़ा मिला।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
बिलासपुर परियोजना (शहरी) की परियोजना अधिकारी श्रीमती दीप्ती पटेल से VDO TAB ने बातचीत की, और यथास्थिति से अवगत कराते हुए उनका पक्ष जानना चाहा। श्रीमती पटेल ने कहा, कि इन दिनों वजन त्यौहार जारी है, साथ ही 25 जुलाई तक अन्य कुछ कार्य पूर्ण करना है, तो सुपरवाइजर अपने हिसाब से व्यवस्था बनाकर कार्य करा रही हैं। हालांकि उन्होंने इस विषय पर अपने सुपरवाइजर से जानकारी लेने की बात भी कही।
कोनी के आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक-7 को किस व्यवस्था के अंतर्गत खेलकूद वाले बच्चों के हवाले कर दिया गया है, फिर आंगनबाड़ी कहाँ चल रहा है, कही चल भी रहा है या इन दिनों स्थगित है, इस बाबत बातचीत करने के लिए बिलासपुर परियोजना (शहरी) के परियोजना अधिकारी श्री उमाशंकर अनंत से मोबाइल पर संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन श्री अनंत से संपर्क नहीं हो सका।
VDO TAB ने बिलासपुर के जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) श्री सुरेश सिंह को मोबाइल पर इस पूरी स्थिति की जानकारी दी, और उनका पक्ष लेना चाहा। श्री सिंह ने कहा कि मोबाइल पर पक्ष दे पाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्यालय पहुंचकर पक्ष लिया जा सकता है। जिला परियोजना अधिकारी श्री सिंह ने यह भी कहा कि वे परियोजना अधिकारियों से इस सम्बन्ध में जानकारी लेंगे।

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