बिलासपुर : सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति, पीएम मोदी का दौरा भी नहीं करा पाया इस बस्ती का उद्धार 

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बिलासपुर : सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति, पीएम मोदी का दौरा भी नहीं करा पाया इस बस्ती का उद्धार 

बिलासपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 30 मार्च 2025 को बिलासपुर (मोहभट्ठा) प्रवास के बाद शहर के विभिन्न वार्डों में बिजली, पानी और साफ-सफाई आदि को लेकर नगर निगम प्रशासन सक्रिय नजर आ रहा है. जिन गलियों ने महीनों से झाड़ू के दर्शन नहीं किए थे, वहां न केवल झाड़ू लगाया जा रहा है, बल्कि नालियों से गंदगी भी निकाली जा रही है.

यदि हम बिलासपुर शहर की बात करें, तो इस शहर के जिन स्थानों पर पहले ही सफाई थी, वहां शहर चकाचक नजर आ रहा है. जिन मोहल्लों और बस्तियों में बसाहट के हिसाब से सघन सफाई की आवश्यकता है, वहां हालत खानापूर्ति सरीखे हैं.

बिलासपुर शहर के सरकंडा स्थित इमलीभाठा ( वार्ड नंबर 65) को ही लें. पूरे शहर से अतिक्रमण हटाने के बाद अवैध बसाहटों की आबादी को यहां शिफ्ट किया गया है. वाल्मीकि आंबेडकर आवास योजना के अंतर्गत यहां कॉलोनी बसाई गई है. इसे इमलीभाठा कॉलोनी या जोगी आवास के नाम से जाना जाता है. इस कॉलोनी में शहर की जितनी आबादी को किस्तों में शिफ्ट किया जा चुका है, उस अनुपात में यहां सुविधाओं का विस्तार नहीं हो सका. यही कारण है कि या आए दिन समस्याएं पसरी रहती हैं. स्थाई समाधान की तरफ न तो पार्षद के ध्यान रहा, न ही नगर निगम के पास कोई विशेष कार्ययोजना दिख रही है.

यहां की नालियों में गंदगी, कूड़े और गड्ढे वाली सड़कों, बेतरतीब बिछाई गई पाइपलाइन से फिजूल बहता पानी, और जहां जरूरत है वहां पानी की समस्या और कई माह से बंद पड़े स्ट्रीट लाइटों पर ध्यान देने वाला आखिर कौन है..?

नगर निगम चुनाव सम्पन्न होने और उसके कुछ ही दिनों के भीतर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिलासपुर (बिल्हा) प्रवास ने इस कॉलोनी के गरीब, मेहनतकश रहवासियों को असुविधाओं और समस्याओं से मुक्ति की उम्मीद जरूर दी थी, लेकिन वह उम्मीद टूट सी गई.

प्रधानमंत्री मोदी के प्रवास के बाद उसी दिन यानी 30 मार्च की शाम इस कॉलोनी में फॉगिंग के लिए एक कर्मचारी पहुंचा. एक-दो गलियों में फॉगिंग करने के बाद उसने मशीन में खराबी बताकर चला गया. लेकिन, उसने रहवासियों को फॉगिंग किए जाने की पुष्टि हेतु दस्तखत कराना नहीं भूला.

अगले दिन यानी 31 मार्च की सुबह यहां सफाई कर्मी भी पहुंचे. उन्होंने कुछ गलियों में जाकर नालियों की गंदगी को सतही तौर पर साफ किया है, और गन्दगी को निकालकर नाली के ऊपर सड़क के किनारे रख दिया है. अब घरों के सामने पसरी नाली से निकली यह गंदगी यहां से कब तक उठेगी, इसका कोई अंदाजा नहीं है.

गन्दगी, बदबू, मच्छर, बदहाल सड़कें और बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट की समस्या क्या ऐसी ही कोशिशों से स्थाई रूप से खत्म हो पाएगी, या यह सिर्फ खानापूर्ति है..? शहर को विकसित बनाना है, तो स्थानीय निकाय और स्थानीय प्रशासन को ऐसे स्थानों के लिए विशेष कार्ययोजना बनाकर यहां की समस्याओं का निदान करना चाहिए. अन्यथा विकसित भारत के संकल्प यात्रा में अपना बिलासपुर सिर्फ कागजों में विकसित दिखेगा, इमलीभाठा और ऐसी बस्तियों में रहने वाली आबादी की जिंदगी जस की तस ही रहेगी.

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