रायपुर • छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को नियमित करने करने की मांग की है. पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि शिक्षाकर्मियों की तर्ज पर आंगनबाड़ीकर्मियों को नियमित किया जाए. इसके लिए मार्च 2025 के बजट में समुचित प्रावधान किया जाए.
छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की बिलासपुर जिला ईकाई की अध्यक्ष भारती मिश्रा और अन्य जिला पदाधिकारियों ने एक संयुक्त मांगपत्र प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री साय को भेजा है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है, देश में ICDS कार्यक्रम को 50 साल से ज्यादा हो गए, इसके बावजूद देश के 27 लाख आंगनबाड़ीकर्मियों को मौलिक सुविधाएं नहीं मिल पाईं. मानसेवी के रूप में कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बहनें विभिन्न शासकीय कार्यक्रमों में पूरी लगन के साथ सहभागिता निभाती हैं. इसलिए मार्च 2025 के बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शिक्षकों की तरह नियमितीकरण किया जाए. जब तक नियमित नहीं किया जाता, तब तक कार्यकर्ताओं को 21 हजार रुपए और सहायिकाओं को इसका 85 प्रतिशत वेतन दिया जाए.
उन्होंने पत्र में लिखा है, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के बुढ़ापे के सहारा के लिए सामाजिक सुरक्षा के रूप में पेंशन, ग्रेच्युटी, बीमा आदि के लिए उचित प्रावधान किया जाए. सरकार चाहे तो अंशदायी पेंशन योजना लागू करने हेतु नीति बना सकती है. जिस प्रकार वर्ष 1998-99 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर के रूप में वरिष्ठता के आधार पर सीधे पदोन्नत किया गया, ठीक उसी प्रकार आज भी सुपरवाइजर के 100% रिक्त पदों पर पहले वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत किया जाए, शेष पदों के लिए परीक्षा आयोजित हो. संघ ने मांग की है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय/वेतन संबंधी विसंगति को तत्काल दूर किया जाए. उन्होंने यह भी मांग की है कि आंगनबाड़ीकर्मी हित में आवाज उठाने के कारण रायपुर (रामकुंड) की कार्यकर्ता सुमन यादव को प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया है. सुमन यादव की बहाली की जाए.
छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने इस पत्र की प्रतियां केंद्र और राज्य सरकार के सचिवों (महिला एवं बाल विकास विभाग) को भी भेजा है.

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