बिलासपुर : इमलीभांठा के ‘जोगी आवास’ की कहानी, जहां का एक दुकानदार लेगा शपथ

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बिलासपुर : इमलीभांठा के ‘जोगी आवास’ की कहानी, जहां का एक दुकानदार लेगा शपथ

बिलासपुर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में बसी एक अनूठी कॉलोनी की कहानी यहां पेश है. जिसकी अपनी जिंदगी है. बिलासपुर शहर और आसपास की कई चीजें बहुत प्रसिद्ध हैं. चाहे वह बिलासपुर की अरपा नदी हो, या रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर. कोल इंडिया का ऑफिस हो या अपोलो हॉस्पिटल, एनटीपीसी सीपत हो या कानन पेंडारी जू….यह सब तो आप जानते हैं, लेकिन इमलीभांठा के इस जोगी आवास की कहानी शायद अपने नहीं सुनी होगी. विस्थापित समुदाय की व्यथा की एक कथा यहां पेश है. हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव में इस कॉलोनी ने एक किराने दुकानदार को अपना पार्षद चुना है.

ये है इमलीभांठा की कहानी

इमलीभांठा कॉलोनी का वीरान सा गेट, जहां इक्के-दुक्के ऑटो मिल जाते हैं.

भारत के 28वें राज्य छत्तीसगढ़ का निर्माण 1 नवम्बर 2000 को हुआ. राज्य निर्माण के बाद रायपुर को राजधानी बनाया गया और बिलासपुर को न्यायधानी. High Court की स्थापना बिलासपुर में की गई, इसलिए अन्तःसलीला अरपा के तट पर बसी इस नगरी को न्यायधानी कहा गया. इस शहर को सुंदर बनाने के लिए तब सरकार ने शहर के बीच बसे अवैध बसाहटों को वहां से विस्थापित कर विभिन्न स्थानों पर आवासें बसाई. एक आवास इमलीभांठा में बना. यह बस्ती बिलासपुर के सरकंडा क्षेत्र में एसईसीएल कॉलोनी इंदिरा बिहार के बाजू में बसा है. राज्य सरकार ने तब इस बसाहट को वाम्बे आवास (VAMBAY) वाल्मीकि आंबेडकर मलिन बस्ती आवास योजना नाम दिया था. बड़ी संख्या में यहां शहर के बीच बसी अवैध बसाहट वाली आबादी को बसाया गया. बसाहट की संख्या के अनुपात में यहां सुविधाएं विकसित नहीं की गई, नतीजा यह हुआ कि यहां के लोगों के हालात आज भी बहुत अच्छे नहीं है. एक बड़ी आबादी की बसाहट उजाड़कर शहर की सुंदरता बढ़ाई गयी, लेकिन उजड़ी आबादी के जीवन से सुंदरता कोसों दूर चली गई.

…और नाम पड़ गया ‘जोगी आवास’

यह निर्माण के समय की संरचना है, जिसकी हालात देखकर इमलीभांठा के इस कॉलोनी की दुर्दशा समझी जा सकती है.

इमलीभांठा के इस कॉलोनी को जब बसाया गया, तब प्रदेश के मुख्यमंत्री दिवंगत श्री अजीत जोगी थे. इसलिए इस कॉलोनी का नाम ‘जोगी आवास’ पड़ गया. मुख्यमंत्री के गृह जिला होने के कारण तब इस कॉलोनी के प्रति सरकारी रवैया बहुत संवेदनशील था. भले ही एक-एक कमरे के मकान ही दिए गए, लेकिन सरकारी मशीनरी में यहां के लोगों के जीवन, रहन-सहन के प्रति चिंता दिखती थी. छत्तीसगढ़ के सीनियर अफसर आरपी मंडल, विकासशील, डॉ. गौरव द्विवेदी, सुबोध कुमार सिंह, सोनमणि बोरा, दिव्या मिश्रा आदि कई अधिकारी जब-जब यहां अलग-अलग पदों पर रहे, वे यहां के लोगों से बातचीत करके यहां सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्राथमिकता से निर्देश देते थे.

बदतर हालात

समय के साथ यहां आबादी तो बढ़ती गई, लेकिन सुविधाओं का विस्तार नहीं हो सका. शुरुआत में दी गई तमाम सुविधाएं ठप सी पड़ गई हैं. गार्डन नाममात्र के रह गए हैं, जहां गंदगी पसरी हुई है. गार्डन के झूले अपाहिज हालत में लंगड़े खड़े हैं, या फिर चोरों ने साफ ही कर दिया है. जो टुकड़े बचे हैं, वे कपड़े सुखाने के काम आ रहे हैं. स्कूल भी है, लेकिन पढ़ने-पढ़ाने की गुणवत्ता का कोई हिसाब नहीं, बस कागजी काम हो रहे हैं. आंगनवाड़ी के लिए आज तक भवन नहीं बने. नूतन चौक (सेंट्रल लाइब्रेरी) से इस कॉलोनी के लिए जाने वाली सड़क की हालत इतनी बदतर है, कि बारिश के दिनों में बाढ़ से जाम, बाकी दिनों में गड्ढों से लोग हलाकान हैं.

लगातार उपेक्षा

इमलीभांठा के इस कॉलोनी की बढ़ती आबादी मानव संसाधन के रूप में कैसे हो तब्दील हो, यहां सुविधाओं का विकास करके लोगों के जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव कैसे लाया जा सके, इसके लिए अब तक किसी भी सरकार की तरफ से कोई विशेष कदम नहीं दिखा. यही कारण है अपनी स्थापना के लगभग 25 सालों में भी यह कॉलोनी विकसित भारत के सपने से काफी दूर नजर आ रही है.

वायदे हैं, वायदों का क्या

यह कॉलोनी हर चुनाव में नेताओं और राजनैतिक दलों की घोषणाएं सुनती है. हर चुनावी वायदे में कहीं न कहीं अपना हित भी तलाशती है, और वोट देती है, लेकिन चुनाव के 5 सालों बाद नेताओं के चेहरे बदल जाते हैं, इस कॉलोनी की समस्याएं जस की तस रहती हैं. इस कॉलोनी के हर घर में शुद्ध पेयजल, पक्की सड़क, हर बिजली खंबे पर स्ट्रीट लाइट, नाली और सड़कों की नियमित साफ-सफाई, बच्चों को आंगनवाड़ी और स्कूल की अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए एक बेहतर क्लीनिक इतने सालों में आखिर क्यों नहीं मिल सके..?

उम्मीद जगी

छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव में बिलासपुर नगर पालिक निगम के महापौर पद के लिए भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी पूजा विधानी के निर्वाचित होने की जानकारी मिली है. यह कॉलोनी बिलासपुर नगर पालिक निगम के वार्ड नंबर 65, संत नामदेव वार्ड के अंतर्गत स्थित है. इस वार्ड के पार्षद पद के लिए जिस प्रत्याशी के निर्वाचित होने की खबर है, वह भी भारतीय जनता पार्टी के बैनर से चुनाव लड़े थे. नाम है, तिहारी राम जायसवाल. तिहारी के बारे में बताया जाता है कि वह मूल रूप से राजनीतिज्ञ नहीं हैं, बल्कि एक ग्रामीण दुकानदार हैं. यह कॉलोनी जहां बसी है, ठीक उसके गेट के समीप पार्षद की किराने की दुकान है.

इमलीभांठा का दुर्भाग्य

गेट बस रह गया है, बाउंड्री के नाम पर निशान खोजना मुश्किल है. उसके लिए पुरातात्विक परीक्षण कराना होगा, कि कभी बना भी था या नहीं.

वैसे देखा जाए तो इस कॉलोनी के निवासियों के प्रति भारतीय जनता पार्टी की उदारता रही है. जब यह कॉलोनी बसाई जा रही थी, तब यहां भारतीय जनता पार्टी की ही पार्षद थीं, गीता रजक. गीता रजक ने अनेक परिवारों की मदद की. वह व्यक्तिगत रूप से यहां के लोगों से मिलती-जुलती थीं. आज भी गीता रजक की लोकप्रियता यहां कायम है. विधायक के रूप में कोई शैलेष पांडे भी थे, ऐसा यहां के लोगों को कम ध्यान है. वे विधायक के रूप में अमर अग्रवाल का नाम ही जानते हैं. इस कॉलोनी का दुर्भाग्य रहा कि कभी भाजपा का पार्षद मिला, तो महापौर कांग्रेस का, कभी कांग्रेस का पार्षद मिला, तो महापौर भाजपा का. जब दोनों एक पार्टी के मिले, तो राज्य में सरकार दूसरी पार्टी की. संभवतः एक कारण यह भी है कि इस कॉलोनी का समुचित विकास नहीं हो सका.

इमलीभांठा में ट्रिपल इंजिन सरकार का असर

अभी इस नगर निगम चुनाव के बाद जो परिणाम आए हैं, वह राहत देने वाले हैं. देश और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. शहर में महापौर भी भारतीय जनता पार्टी की होंगी, तो पार्षद के रूप में तिहारी भी भारतीय जनता पार्टी के होंगे. अच्छी बात यह भी कि केंद्र सरकार में नगरीय विकास मंत्री तोखन साहू इसी जिले से हैं, तो राज्य सरकार के उपमुख्य मंत्री और नगरीय विकास मंत्री अरुण साव का वास्ता भी इसी जिले से है. ऐसे में, अगर ट्रिपल इंजिन सरकार का कोई सबसे बड़ा हितग्राही है, तो वह इमलीभांठा है. इमलीभांठा के इस कॉलोनी के हर परिवार की जिंदगी में खुशहाली आ सके, चेहरों पर मुस्कान आ सके, नाली, पानी, सफाई, सड़क, बिजली, राशन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं अगर यह ट्रिपल इंजिन सरकार नहीं दे सकी, तो किस काम की..? पार्षद के रूप में तिहारी के लिए यह एक चुनौती तो है, लेकिन एक दुकानकार से लोकप्रिय जननेता बनने का एक शानदार अवसर भी है. पार्षद की टिकट कैसे मिली, क्यों मिली, यह सब जनता नहीं जानना चाहती. इमलीभांठा की जनता ने तिहारी को अपना नेता चुन लिया है, जनता चाहती है कि वे भ्रष्ट नेताओं की तरह अपनी जेबें भरने में नहीं, बल्कि लोगों को समस्याओं को दूर करने में ध्यान देंगे. जब पार्षद पद का शपथ ग्रहण होगा, तब वह इसी बात का शपथ लेंगे. अन्यथा, इस देश में ऐसे दुकानदारों की कमी नहीं, जो राजनीति को भी अपनी दुकान समझते हैं और जेबें भरते हैं. तिहारी के लिए यह अवसर है कि वे एक दुकानदार से ऊपर एक लोकप्रिय जननेता की छवि गढ़ सकते हैं.

इमलीभांठा 2047 में कैसा होगा..?

अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता पूरे समाज को हमेशा थी और रहेगी, लेकिन यदि 2047 तक भारत को विकसित बनाना ही है, ठान ही लिया है, तो फिर इमलीभांठा जैसे क्षेत्र को मजबूत और अच्छे नेतृत्व की जरूरत सबसे पहले है. तभी विकसित भारत संकल्प यात्रा सफलतापूर्वक पूरी होगी.

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