बिलासपुर में शातिर ठग सक्रिय: डिजिटल ठगी से व्यापारियों में दहशत, टारगेट में सरकंडा थाना और साहू व्यापारीSymbolic Image

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बिलासपुर में शातिर ठग सक्रिय: डिजिटल ठगी से व्यापारियों में दहशत, टारगेट में सरकंडा थाना और साहू व्यापारी

रायपुर छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में एक शातिर ठग ने व्यापारियों के बीच हड़कंप मचा रखा है। यह ठग आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर दुकानदारों को चूना लगा रहा है। सरकंडा थाना क्षेत्र में सक्रिय इस ठग ने फोन-पे और गूगल-पे जैसे डिजिटल भुगतान के जरिए कई व्यापारियों को निशाना बनाया है। हैरानी की बात यह है कि पहली शिकायत 9 जून 2025 को दर्ज होने के बावजूद, यह ठग अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।

ठगी का तरीका: डिजिटल चालबाजी का नया खेल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह ठग दुकानों पर सामान खरीदने के बाद अपने मोबाइल से डिजिटल भुगतान का मैसेज दिखाता है। दुकानदार, भुगतान की पुष्टि होने का भरोसा कर सामान दे देते हैं। लेकिन बाद में जब उनके खाते में पैसे नहीं पहुंचते, तो ठगी का खुलासा होता है। अब तक लगभग चार व्यापारियों ने इस ठग के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, और इनमें से कुछ मामलों में सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंपे गए हैं, जिनमें ठग की तस्वीरें साफ दिखाई दे रही हैं।

पीड़ितों की सूची और ठगी की राशि

खबरों के मुताबिक़, पहली शिकायत 9 जून 2025 को मोपका निवासी किराना दुकानदार संतराम साहू ने दर्ज कराई, जिन्हें लगभग 1,639 रुपये की चपत लगी। दूसरी शिकायत 15 जून को बहतराई के ॐ मेडिकल स्टोर के संचालक केशव प्रसाद साहू ने की, जिनके साथ करीब 555 रुपये की ठगी हुई। तीसरी शिकायत 4 जुलाई को राधा विहार के छत्तीसगढ़ फार्मेसी के संचालक चंद्रकांत साहू ने दर्ज कराई, जिन्हें तकरीबन 1,700 रुपये का नुकसान हुआ। चौथी शिकायत प्रगति विहार के सामने जय चंडी मेडिकल स्टोर के संचालक लंबोदर साहू ने की, जिनसे लगभग 1,100 रुपये की ठगी की गई।

ठगी के पैटर्न: मेडिकल स्टोर और साहू समुदाय पर निशाना

गौर करने वाली बात यह है कि इस ठग ने ज्यादातर मेडिकल स्टोर को अपना निशाना बनाया है। इसके अलावा, सभी पीड़ित व्यापारी साहू समुदाय से हैं और सभी मामले सरकंडा थाना क्षेत्र के हैं। यह संकेत देता है कि ठग ने सुनियोजित तरीके से एक ही क्षेत्र और समुदाय को टारगेट किया है।

सरकंडा: संवेदनशील क्षेत्र में अपराध की चुनौती

सरकंडा थाना क्षेत्र बिलासपुर का एक पुराना और संवेदनशील इलाका है। यहां SECL हेडक्वार्टर, अपोलो हॉस्पिटल, स्टेडियम और बड़े व्यापारिक क्षेत्र मौजूद हैं। एक समय यह इलाका अपराधियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन पुलिस की सक्रियता से स्थिति सुधर गयी। अब, इस नए ठगी प्रकरण ने पुलिस की सतर्कता पर सवाल उठाए हैं।

पुलिस की कार्रवाई: तेज-तर्रार इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी

इस मामले में सरकंडा थाना प्रभारी नीलेश पांडेय ने सक्रियता दिखाई है। नीलेश पांडेय, जिनका नाम प्रदेश के तेज-तर्रार इंस्पेक्टरों में शुमार है, जिन्होंने बस्तर, छुरिया और खैरागढ़ जैसे चुनौतीपूर्ण, बीहड़ और मैदानी हर प्रकार के क्षेत्रों में काम किया है। थाना प्रभारी इंस्पेक्टर श्री पांडेय ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर ठग की तलाश जारी है। सभी शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है और उनकी सूक्ष्म जांच चल रही है। श्री पांडेय ने विश्वास जताया कि आरोपी जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होगा।

क्या यह ठगी का अंत है?

यह कहना मुश्किल है कि शिकायतें यहीं तक सीमित हैं या और भी व्यापारी सामने आएंगे। छत्तीसगढ़ में इस तरह की डिजिटल ठगी का यह संभवतः पहला मामला है, खासकर बिलासपुर में। यह घटना न केवल व्यापारियों के लिए चेतावनी है, बल्कि पुलिस के लिए भी एक चुनौती है कि आधुनिक तकनीक से लैस अपराधियों को पकड़ने के लिए रणनीति को और मजबूत करना होगा।

सतर्कता सलाह: व्यापारियों के लिए अलर्ट

पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने व्यापारियों से अपील की है कि वे डिजिटल भुगतान स्वीकार करते समय सावधानी बरतें। भुगतान का मैसेज देखने के साथ-साथ अपने बैंक खाते में राशि जमा होने की पुष्टि अवश्य करें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराएं। साथ ही, दुकानों में सीसीटीवी कैमरे की उपलब्धता और उनकी कार्यक्षमता सुनिश्चित करें, ताकि ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिल सके। विनोद डोंगरे

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