
छत्तीसगढ़ की राजनीति में डॉ. रमन सिंह का नाम एक ऐसे नेता के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने राज्य की स्थापना के बाद से ही विकास की नींव रखी और जनता के दिलों में जगह बनाई। आज, 15 अक्टूबर को उनका जन्मदिन है, जो न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन का उत्सव है, बल्कि उनके लंबे और शानदार राजनीतिक करियर की याद दिलाता है। डॉ. रमन सिंह का जन्म 15 अक्टूबर 1952 को छत्तीसगढ़ के कवर्धा (अब कबीरधाम) जिले में हुआ था। वे एक साधारण परिवार से आते हैं, लेकिन उनकी मेहनत, समर्पण और जनसेवा की भावना ने उन्हें राज्य की राजनीति का चमकता सितारा बना दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ाव ने उनके जीवन को एक मजबूत वैचारिक आधार दिया, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के माध्यम से उन्होंने देश और राज्य की सेवा की। आइए, उनके जीवन, करियर और योगदान पर विस्तार से नजर डालें।
डॉ. रमन सिंह का बचपन छत्तीसगढ़ की मिट्टी में बीता। कवर्धा जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे रमन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्तर पर पूरी की। वे चिकित्सा क्षेत्र में रुचि रखते थे और आयुर्वेदिक चिकित्सक बने। एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने डॉक्टर की प्रैक्टिस शुरू की। खास बात यह थी कि वे गरीबों और जरूरतमंदों का मुफ्त में इलाज करते थे, जिससे वे जल्द ही ‘फ्री ट्रीटमेंट वाले डॉक्टर’ के रूप में प्रसिद्ध हो गए। उनकी यह जनसेवा की भावना बाद में उनकी राजनीति का आधार बनी।
आरएसएस से उनका जुड़ाव बचपन से ही था। संघ की विचारधारा ने उन्हें अनुशासन, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक सेवा सिखाई। यही वजह है कि वे राजनीति में प्रवेश करने से पहले संघ के विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। यह बैकग्राउंड उन्हें भाजपा जैसी पार्टी के लिए उपयुक्त बनाता था, जहां वैचारिक मजबूती और जनता से जुड़ाव पर जोर दिया जाता है।

डॉ. रमन सिंह का राजनीतिक सफर 1980 के दशक में शुरू हुआ। वे भाजपा में शामिल हुए और जल्द ही छत्तीसगढ़ इकाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन (1 नवंबर 2000) से पहले, जब यह मध्य प्रदेश का हिस्सा था, तब वे सक्रिय थे। वे छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। इस पद पर रहते हुए उन्होंने पार्टी को मजबूत आधार दिया, कार्यकर्ताओं को संगठित किया और राज्य की अलग राज्य की मांग में योगदान दिया।
उनकी मेहनत रंग लाई जब 1993 में वे मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। फिर, 1998 में वे राजनांदगांव लोकसभा सीट से सांसद बने। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार (1999-2004) में उन्हें केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री का दायित्व मिला। इस दौरान उन्होंने व्यापार और उद्योग नीतियों पर काम किया, जो उनके प्रशासनिक अनुभव को बढ़ावा दिया। वाजपेयी सरकार में काम करने का अनुभव उन्हें राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की समझ दी, जो बाद में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में उपयोगी साबित हुआ।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2003 में भाजपा ने डॉ. रमन सिंह को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। वे राज्य के पहले भाजपा मुख्यमंत्री बने और लगातार तीन बार (2003-2008, 2008-2013, 2013-2018) इस पद पर रहे। यह उपलब्धि अपने आप में ऐतिहासिक है, क्योंकि उन्होंने 15 वर्षों तक राज्य की कमान संभाली और इसे विकास के पथ पर आगे बढ़ाया।
उनके शासन की सबसे बड़ी पहचान थी जनकल्याणकारी योजनाएं। सबसे प्रसिद्ध है ‘मुफ्त चावल वितरण योजना’। गरीबों को सस्ते या मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने की यह योजना 2000 के दशक में शुरू हुई, जब राज्य में गरीबी और कुपोषण बड़ी समस्या थी। इस योजना से लाखों परिवारों को राहत मिली और डॉ. रमन सिंह ‘चावल वाले बाबा’ के नाम से मशहूर हो गए। यह उपनाम उनकी जनता से जुड़ाव की मिसाल है। योजना ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को मजबूत किया और छत्तीसगढ़ को देश में खाद्य सुरक्षा का मॉडल राज्य बनाया।
इसके अलावा, उन्होंने औद्योगीकरण पर फोकस किया। स्टील प्लांट, पावर प्रोजेक्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में निवेश आकर्षित किया। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य चलाए, जैसे सड़कें, स्कूल और अस्पताल। स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में भी सुधार हुए – आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं की नींव उनके समय में पड़ी। हालांकि, नक्सलवाद और आदिवासी मुद्दों पर चुनौतियां रहीं, लेकिन उनके नेतृत्व में राज्य ने स्थिरता हासिल की।
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा, लेकिन राजनीति से संन्यास नहीं लिया। 2023 में वे फिर से सक्रिय हुए और वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष हैं। इस पद पर वे विधायी प्रक्रियाओं को सुचारु रूप से चलाते हैं और विपक्ष के साथ संवाद बनाए रखते हैं। उनकी अनुभवी नेतृत्व शैली सदन को गरिमा प्रदान करती है।

डॉ. रमन सिंह एक पारिवारिक व्यक्ति हैं। उनकी पत्नी वीणा सिंह और बच्चे भी सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। वे सादगी पसंद नेता हैं, जो अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं। आरएसएस का प्रभाव उनकी विचारधारा में दिखता है – हिंदुत्व, विकास और राष्ट्रवाद।
उनका राजनीतिक सफर शानदार रहा है: आरएसएस कार्यकर्ता से डॉक्टर, प्रदेश अध्यक्ष से केंद्रीय मंत्री, और तीन बार मुख्यमंत्री तक। उन्होंने छत्तीसगढ़ को एक विकसित राज्य बनाने में योगदान दिया। ‘चावल वाले बाबा’ की यह यात्रा बताती है कि जनसेवा और दृढ़ इच्छाशक्ति से कितना कुछ हासिल किया जा सकता है।
आज उनके जन्मदिन पर, हम उनके स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करते हैं। डॉ. रमन सिंह जैसे नेता नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं, जो सिखाते हैं कि राजनीति सेवा का माध्यम है, न कि सत्ता का। जन्मदिन मुबारक हो, डॉ. साहब! – विनोद डोंगरे

www.vdotab.com is an online News Platform.

COMMENTS