सुनील सोनी बनना आसान नहीं : पढ़िए छॉलीवुड के चमकते सितारे की दिलचस्प कहानी

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सुनील सोनी बनना आसान नहीं : पढ़िए छॉलीवुड के चमकते सितारे की दिलचस्प कहानी

रायपुर जब बात छत्तीसगढ़ी सिनेमा यानी “छॉलीवुड” की आती है, तो एक नाम जो हर दिल की धड़कन बन चुका है, वो है सुनील सोनी। उनकी मखमली आवाज, लोक संगीत और फिल्मी अंदाज का अनोखा मेल, और छत्तीसगढ़ की माटी की सौंधी खुशबू ने उन्हें इस उद्योग का बेताज बादशाह बना दिया है। यक़ीनन, “सुनील सोनी बनना आसान नहीं है!” क्योंकि, यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें संघर्ष, प्रतिभा, और जुनून का तड़का है, जो हर उस शख्स को प्रेरणा देता है जो सपनों के पीछे भागने की हिम्मत रखता है।

माटी से निकला एक अनमोल हीरा

बिलासपुर संभाग के मुंगेली की गलियों से लेकर भिलाई, रायपुर तक, सुनील सोनी की जड़ें छत्तीसगढ़ की संस्कृति में गहरे धंसी हैं। 26 जनवरी 1980 को जन्मे सुनील का बचपन संगीत की मधुर स्वरलहरियों के बीच बीता। उनके पिता, जो स्वयं एक जाने-माने लोक कलाकार थे, ने सुनील के दिल में संगीत का बीज बोया। कहते हैं, जब सुनील छोटे थे, तो रोते-रोते कब गुनगुनाने लगते, यह कोई नहीं जान पाता था। मानो माँ सरस्वती ने उनके कंठ को जन्म से ही आशीर्वाद दे दिया हो। उनकी आवाज में वह जादू है, जो श्रोताओं को बांध लेता है, फिर चाहे वह रोमांटिक गीत “लाली तोर लुगरा” हो या हल्की-फुल्की हास्य भरी धुन “रानी के फुंदरा”।

छॉलीवुड का वो सितारा, जो हर शैली में चमका

सुनील सोनी की गायकी में एक खासियत है—वह हर शैली को अपनी आवाज में ढाल लेते हैं। जैसे लता मंगेशकर की आवाज हर भाव को जीवंत करती थी, वैसे ही सुनील की गायकी में रोमांस, हास्य, और लोक संगीत का अनोखा संगम दिखता है। उनकी आवाज में छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की आत्मा बसती है, जो “दौना पान” जैसे गीतों में सुनाई देती है। फिर चाहे वह “हाय तोर गुर्री चेहरा” का रोमांटिक अंदाज हो या “हंस झन पगली फंस जाबे” का चुलबुलापन, सुनील हर गाने को जीवंत कर देते हैं।

उन्होंने “भूलन द मेज”, “इश्क मा रिस्क हे”, “मोर जोड़ीदार”, और “तैं दीया मैं तोर बाती” जैसी कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। उनकी गायकी का आलम यह है कि स्टेज शो हो या प्लेबैक सिंगिंग, सुनील हर जगह बराबर का कमाल दिखाते हैं। उनके स्टार नाइट्स में दर्शक झूम उठते हैं।

लोक गायक सुनील सोनी छत्तीसगढ़ की प्रख्यात और उनके समकालीन गायिका अनुपमा मिश्रा के साथ

संघर्षों से भरी राह, जो बनी मिसाल

सुनील सोनी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। मुंगेली जैसे छोटे कस्बे से निकलकर छॉलीवुड के शिखर तक पहुंचना कोई आसान काम नहीं था। उनके संघर्ष की कहानी उस संगीतकार की तरह है, जो हर तार को छूकर उसे सही स्वर में ढालता है। सुनील बताते हैं कि उनके पिता की प्रेरणा और छत्तीसगढ़ की संस्कृति ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। वे आज भी एक नए कलाकार की तरह रियाज करते हैं, अपने काम में डूब जाते हैं, और यही उनकी सफलता का राज है।

उनके समकालीन और छॉलीवुड के दिग्गज निर्देशक जैसे सतीश जैन, मनोज वर्मा, प्रणव झा, प्रेम चंद्राकर, अनुपम वर्मा आदि अनेक नाम हैं, जो उनके हुनर की तारीफ करते नहीं थकते। सुनील ने इन सभी के साथ मिलकर काम किया है। ‘मया’ “मया-2”, ‘अब्बड़ मया करथंव’, “रंगरसिया द जेंटलमैन”, और “दबंग दरोगा” जैसी फिल्मों में गाने गाए, कई में संगीत भी दिए, जो आज भी दर्शकों की जुबान पर हैं।

शास्त्रीय और लोक संगीत का अनोखा मेल

सुनील सोनी की खासियत उनकी शास्त्रीय संगीत की समझ और लोक संगीत के प्रति गहरी पकड़ है। जैसे किशोर कुमार अपनी आवाज से हर गाने को अनूठा बना देते थे, वैसे ही सुनील के गाने “मोर गोंदा” और “मोला निक लागे रानी” में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक साफ दिखती है। उनकी गायकी में वह ताजगी है, जो श्रोताओं को उनकी जड़ों से जोड़ती है। हाल ही में उनके गाने “लाली लाली लुगरा” और “रानी के फुंदरा” ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। ये गाने न सिर्फ छत्तीसगढ़ में, बल्कि राज्य के बाहर अन्य हिस्सों में भी खूब सुने जा रहे हैं। JioSaavn और Raaga जैसे प्लेटफॉर्म पर उनके गाने ट्रेंड कर रहे हैं, और यही उनकी लोकप्रियता का सबूत है।

विनम्रता का दूसरा नाम सुनील सोनी

सुनील सोनी की एक और खासियत है उनकी विनम्रता। इतनी शोहरत के बावजूद उनमें रत्ती भर भी अहंकार नहीं है। वे छत्तीसगढ़ के हर छोटे-बड़े कलाकार को अपनी प्रेरणा मानते हैं। उनकी यह सादगी उन्हें और भी खास बनाती है। जैसे मोहम्मद रफी अपनी सादगी और गायकी से हर दिल को जीत लेते थे, वैसे ही सुनील की आवाज और व्यक्तित्व छत्तीसगढ़ के लोगों के दिलों में बसता है।

लोक गायक सुनील सोनी परिवार के साथ

छॉलीवुड का भविष्य, सुनील की आवाज

सुनील सोनी ने अपनी कृतियों से न सिर्फ छत्तीसगढ़ी सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि लोक संगीत को एक प्रतिष्ठित पहचान भी दी है। उनकी गायकी और संगीत ने छॉलीवुड को एक नया मुकाम दिया है। “नोनी चुनचुनिया” जैसे लोक गीत हों या “तोर चेहरा रे गुइया” जैसे रोमांटिक गाने, सुनील की आवाज हर बार कुछ नया लेकर आती है। सचमुच, सुनील सोनी बनना आसान नहीं है। उनकी आवाज में छत्तीसगढ़ की आत्मा बसती है, और उनका संघर्ष हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहता है। तो आइए, सुनील सोनी के इस संगीतमय सफर को सलाम करें और उनकी अगली धुन का इंतजार करें, जो एक बार फिर हमारे दिलों को छू लेगी। आपको बता दें, आने वाली कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में सुनील सोनी के गाने हमें सुनने मिलेंगे। विनोद डोंगरे

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