करमा उत्सव की जबरदस्त तैयारी, सहिस-सारथी-घसिया समाज में बढ़ रही सांस्कृतिक जागरूकता

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करमा उत्सव की जबरदस्त तैयारी, सहिस-सारथी-घसिया समाज में बढ़ रही सांस्कृतिक जागरूकता

रायपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, पाली और कटघोरा आदि क्षेत्रों में सहिस, सारथी और घसिया समाज द्वारा इस वर्ष अपनी कुलदेवी करमसेनी दाई की पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के अवसर पर ‘करमा उत्सव’ को अभूतपूर्व उत्साह और धूमधाम के साथ मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। यह पर्व, जो प्रकृति, संस्कृति और सामुदायिक एकता का प्रतीक है, इस बार समाज में बढ़ती जागरूकता के साथ और भी रंगारंग रूप में सामने आ रहा है।

करमा उत्सव सहिस, सारथी और घसिया समाज की गहरी सांस्कृतिक जड़ों को दर्शाता है। इस अवसर पर करम वृक्ष की पूजा, पारंपरिक नृत्य और गीतों के साथ सामुदायिक एकता का उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष, खासकर बिलासपुर, पाली और कटघोरा आदि में, समुदाय के युवा और बुजुर्ग मिलकर इस पर्व को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए सक्रिय हैं। गाँव-गाँव में करम अखाड़ों को सजाया जा रहा है, जहाँ भेलवा और सखुआ की टहनियों के बीच युवक-युवतियाँ करमा नृत्य की मधुर ताल में झूमने को तैयार हैं।

इस उत्सव का विशेष महत्व सहिस, सारथी और घसिया समाज जैसे पिछड़े समुदायों के लिए है, जो अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने के लिए कृतसंकल्प हैं। सामाजिक जागरूकता के इस दौर में, समुदाय के लोग न केवल अपनी परंपराओं को संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए भी प्रयासरत हैं।

करमसेनी दाई की पूजा के साथ शुरू होने वाला यह उत्सव, श्रम, भाईचारा और अच्छी फसल की कामना का संदेश देता है। स्थानीय महिलाएँ अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सजकर करम डाली को फूलों और रंगों से सजाती हैं, जबकि पुरुष ढोल-नगाड़ों और मांदर की थाप पर नृत्य-गीतों में डूब जाते हैं।

छत्तीसगढ़ के संस्कृति विशेषज्ञ बताते हैं, कि यह उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ के पत्रकार विनोद डोंगरे ने कहा, “हमारा समाज अपनी जड़ों को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहा है। करमा उत्सव के माध्यम से हमारी नई पीढ़ी अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ रही है, जो एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव का संकेत है।”

इस वर्ष करमा उत्सव में कई प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें पारंपरिक नृत्य और गीतों की प्रस्तुतियाँ शामिल हैं। यह आयोजन न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राज्य स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। करमा उत्सव के इस उत्साहपूर्ण आयोजन से सहिस, सारथी और घसिया समाज की सांस्कृतिक पहचान को नया बल मिलेगा, साथ ही यह अन्य समुदायों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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