रायपुर। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन इस बार 9 अगस्त 2025 को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस वर्ष रक्षाबंधन को और भी विशेष बनाने के लिए कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व को ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत फलदायी बना रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों ने इस पर्व के शुभ मुहूर्त, संयोग, और बहनों के लिए विशेष उपाय व सावधानियों की जानकारी साझा की है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन पर कई दुर्लभ और शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ा रहे हैं। रायपुर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर शर्मा के अनुसार, इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा, जो पिछले कुछ वर्षों से राखी बांधने के समय में बाधा उत्पन्न कर रहा था। भद्रा 8 अगस्त की रात 1:52 बजे समाप्त हो जाएगी, जिससे 9 अगस्त को पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा।
इसके अलावा, निम्नलिखित शुभ संयोग इस रक्षाबंधन को विशेष बनाएंगे:
सौभाग्य योग: यह योग 9 अगस्त को सुबह 4:08 बजे से 10 अगस्त की तड़के 2:15 बजे तक रहेगा। यह योग जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य लाने वाला माना जाता है।
शोभन योग: यह योग 10 अगस्त को दोपहर 2:15 बजे तक रहेगा, जो कार्यों में सफलता और शुभता प्रदान करता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग: 9 अगस्त को दोपहर 2:23 बजे तक यह योग रहेगा, जो सभी कार्यों में सफलता और सिद्धि प्रदान करता है।
श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र: इन नक्षत्रों का संयोग रक्षाबंधन को और मंगलकारी बनाएगा।
95 साल बाद दुर्लभ महासंयोग: ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार नक्षत्र, पूर्णिमा तिथि, और राखी बांधने का समय 1930 के समान है, जो इसे 95 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बनाता है। इस संयोग में लक्ष्मी-नारायण पूजा और राखी बांधने से दोगुना फल मिलेगा।
राखी बांधने के शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा। रायपुर में राखी बांधने के लिए निम्नलिखित शुभ मुहूर्त हैं:
प्रमुख मुहूर्त: सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:22 बजे से 5:04 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:17 बजे से 12:53 बजे तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:40 बजे से 3:33 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 7:06 बजे से 7:27 बजे तक।
लाभ काल: सुबह 10:15 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक।
अमृत काल: दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक।
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, सुबह 7:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक का समय राखी बांधने के लिए सबसे उत्तम है, क्योंकि इस दौरान ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अत्यंत अनुकूल रहेगी।
बहनों के लिए उपाय
रक्षाबंधन के दिन बहनें निम्नलिखित उपाय करके इस पर्व को और फलदायी बना सकती हैं:
राशि अनुसार तिलक: भाई की राशि के अनुसार तिलक लगाएं। उदाहरण के लिए, मेष राशि के भाई को सिन्दूर का तिलक लगाना शुभ है। छोटी बहनें कनिष्ठा उंगली से और बड़ी बहनें अंगूठे से तिलक करें। तिलक सीधा और साफ लगाएं, क्योंकि टेढ़ा-मेढ़ा तिलक अशुभ माना जाता है।
लक्ष्मी-नारायण पूजा: राखी बांधने से पहले भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। देसी घी का दीपक जलाएं, मंत्र जाप करें, और फल-मिठाई का भोग लगाएं। यह उपाय भाई के जीवन में सुख-समृद्धि लाएगा।
पूजा थाली की तैयारी: पूजा थाली में राखी, रोली, चावल (अक्षत), दीपक, और मिठाई अवश्य रखें। चावल को तिलक के साथ माथे पर लगाएं, क्योंकि बिना अक्षत का तिलक अधूरा माना जाता है।
मंत्र जाप: राखी बांधते समय “ॐ विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय” मंत्र का जाप करें। यह भाई की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए शुभ है।
व्रत का पालन: कुछ बहनें राखी बांधने से पहले व्रत रखती हैं। व्रत के दौरान शुद्ध और सात्विक भोजन करें, और राखी बांधने के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
सावधानियां
रक्षाबंधन के दिन बहनों को निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
भद्रा काल से बचें: हालांकि इस बार भद्रा का साया नहीं है, फिर भी राखी बांधने से पहले पंचांग देखकर भद्रा काल की पुष्टि कर लें। भद्रा में राखी बांधना अशुभ माना जाता है।
अशुद्धता से बचें: राखी बांधने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
गलत तिलक से बचें: तिलक टेढ़ा-मेढ़ा न लगाएं और राशि के अनुसार सही सामग्री का उपयोग करें।
अशुभ समय से बचें: राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का पालन करें। बिना मुहूर्त के राखी बांधना शास्त्रों में वर्जित है।
नकारात्मकता से दूर रहें: रक्षाबंधन के दिन झगड़े या नकारात्मक बातों से बचें, क्योंकि यह पर्व प्रेम और एकता का प्रतीक है।
उत्साह का माहौल
रक्षाबंधन की तैयारियां जोरों पर हैं। बाजारों में रंग-बिरंगी राखियां, मिठाइयां, और पूजा सामग्री की दुकानें सजी हुई हैं। ज्योतिषी और पंडितों का कहना है कि इस बार शुभ संयोगों के कारण रक्षाबंधन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करेगा, बल्कि यह पर्व सामाजिक एकता और समरसता को भी बढ़ावा देगा।

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