कोरबा में चिकन खाना मतलब मौत को गले लगाना, मेहमाननवाज़ी में हुई फ़ूड पॉइजनिंग, सास-दामाद की मौत, बाकी परिजन अस्पताल में भर्ती

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कोरबा में चिकन खाना मतलब मौत को गले लगाना, मेहमाननवाज़ी में हुई फ़ूड पॉइजनिंग, सास-दामाद की मौत, बाकी परिजन अस्पताल में भर्ती

कोरबा में फूड पॉइजनिंग से दो की मौत, चिकन की गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा पर सवाल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कोरकोमा गांव में फूड पॉइजनिंग की एक दुखद घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। इस हादसे में एक महिला और उनके दामाद की मृत्यु हो गई, जबकि तीन अन्य लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। यह दर्दनाक घटना रजगामार पुलिस चौकी क्षेत्र में तब हुई, जब मेहमानों के स्वागत में घर पर चिकन बनाया गया था। भोजन करने के कुछ घंटों बाद ही परिवार के सदस्यों को उल्टी, दस्त और बेहोशी जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दिए। परिजनों ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन महिला और उनके दामाद की जान नहीं बच सकी।

अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच में फूड पॉइजनिंग को मृत्यु का कारण बताया। उनका कहना है कि भोजन में प्रयुक्त चिकन या मसालों में बैक्टीरियल संक्रमण या खराब गुणवत्ता के कारण यह त्रासदी हुई हो सकती है। गंभीर हालत में भर्ती तीन अन्य लोगों का इलाज कोरबा के अस्पताल में चल रहा है। रजगामार पुलिस ने तत्काल जांच शुरू की और मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। साथ ही, खाद्य सामग्री के सैंपल भी खाद्य सुरक्षा जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए हैं।

यह दुखद घटना न केवल कोरकोमा गांव, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में खाद्य सुरक्षा, चिकन की गुणवत्ता और सरकारी तंत्र की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। क्या कोरबा जिले की स्थानीय चिकन दुकानों और मांस आपूर्ति की नियमित जांच हो रही है? क्या खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन सख्ती से किया जा रहा है? विशेषज्ञ सामान्य रूप से यह मानते हैं, कि मांस के भंडारण, परिवहन और बिक्री में लापरवाही अक्सर फूड पॉइजनिंग जैसी घटनाओं का कारण बनती हैं।

कोरबा में खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर निगरानी की कमी लंबे समय से एक गंभीर समस्या बनी हुई है। इस हादसे ने प्रशासन और खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। क्या समय पर कड़े कदम उठाए गए होते, तो यह घटना टाली जा सकती थी? रजगामार पुलिस और खाद्य सुरक्षा विभाग अब संयुक्त रूप से इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं, लेकिन अपेक्षा तो यही है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएं।
यह घटना खाद्य सुरक्षा नियमों, मांस की गुणवत्ता और सरकारी तंत्र की प्रभावशीलता पर विचार करने को एकबारगी विवश करती है। जो भी हो, कोरबा जिले में चिकन और अन्य खाद्य पदार्थों की आपूर्ति श्रृंखला की पारदर्शिता और नियमित जांच की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।

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